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कोरबा जिले के चार विधानसभा क्षेत्र में अटकलों का दौर जारी..किसे मिलेगी टिकट.. किसकी कटेगी टिकट

✍️ नरेन्द्र मेहता
कोरबा। बीते एक सप्ताह से प्रदेश की राजधानी रायपुर से लेकर कोरबा जिले की कोरबा,रामपुर, कटघोरा और पाली तानाखार विधानसभा सीट को लेकर हर जगह लोगों के बीच में केवल एक ही चर्चा हो रही है कि इस विधानसभा चुनाव में किसे मिलेगी टिकट..? और किसकी कटेगी टिकट ? विगत तीन चार विधानसभा चुनावों से किसी भी पार्टी की टिकट हासिल करना, चुनाव जीतने जैसा ही कठिन होता जा रहा है। किसी की भी टिकट कभी भी कट सकती है..और किसी को भी टिकट कहीं से भी मिल सकती है। पहले इस तरह की नौटंकी कांग्रेस में अधिक देखने को मिलती थी, जो अभी भी परंपरा के रूप में जारी है। लेकिन अंधा बांटे रेवड़ी की तर्ज पर टिकट वितरण की यह संक्रामक नौटंकी अब भाजपा सहित सभी दलों में शुरू हो चुकी है। चौक चौराहों और पान ठेलों में दफ्तर ऑफिस और घरों में हर जगह लोग बस यही पूछ रहे हैं कि कोरबा जिले की 4 विधानसभा से भाजपा और कांग्रेस की टिकट किसको मिलेगी.? हालांकि की कोरबा के लिए भाजपा ने लखनलाल देवांगन को प्रत्याशी धोषित कर दिया हैं और लगातार तीन बार के विजेता विधायक और प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल को कांग्रेस की टिकट मिलना तय है किन्तु प्रदेश कांग्रेस में अभी तक 90 विधानसभा की टिकट को लेकर जो उठा पटक चल रही हैं उसके चलते बेफिजूल का तर्क पेश कर कुछ नया होने की बात करते हैं जबकि सच्चाई यहीं हैं कि कोरबा में कांग्रेस के जयसिंह अग्रवाल से भाजपा के लखनलाल देवांगन का सीधा मुकाबला होंना तय है। आम आदमी पार्टी ने पिछली निर्दलीय चुनाव लड़ चुके विशाल केलकर को आप प्रत्याशी बनाया हैं। केलकर को लेकर केवल इस बात की चर्चा लोगों के बीच चलती हैं कि यहां आप से नुकसान किसका ज्यादा होगा कांग्रेस या भाजपा का ? पहले भी कोरबा में कांग्रेस की टिकट को लेकर कोई सवाल अनुमान या चर्चा करने की जरूरत नहीं पड़ती थी। कोरबा से पार्टी के भीतर एकमात्र पहले और अंतिम दावेदार जयसिंह अग्रवाल ही माने जाते थे।
               कोरबा की तरह ही कटघोरा सीट भी सामान्य हैं किन्तु कटघोरा सीट पर आदिवासी समुदाय के कांग्रेस नेता बोधराम कंवर परिवार का ही वर्चस्व हैं।श्री कंवर के बाद उनके पुत्र पुरुषोत्तम कंवर मौजूदा विधायक हैं और टिकट के सशक्त दावेदार हैं।कटघोरा में यहां हर बार की तरह इस बार भी कांग्रेसी यह मांग उठा रहे हैं कि सामान्य सीट से सामान्य वर्ग को टिकट दी जानी चाहिए क्योंकि क्षेत्र में 70 प्रतिशत आबादी सामान्य वर्ग की हैं।यदि नए समीकरण बनते हैं तो इसमें कोई आश्चर्य वाली बात नहीं होगी कि पुरुषोत्तम को आरक्षित सीट पाली तानाखार सिप्ट किया जा सकता हैं और विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत कटघोरा से चुनाव लड़ सकते हैं। दरअसल इस बात की चर्चा क्षेत्र में है इस सीट से कांग्रेस नेता हरीश परसाई,रीना अजय जायसवाल, मदन राठौर, प्रशांत मिश्रा भी दावेदार हैं।कटघोरा से विधायक रह चुके भाजपा नेता लखनलाल देवांगन को कोरबा से उम्मीदवार बनाने की घोषणा के बाद यहां से भाजपा टिकट के करीब 15 दावेदार हैं।बीजेपी से टिकट लाने की संभावना वालों में कुछ लोगों के नाम भी सामने आ चुके हैं जिसमे जिला भाजपा के कोषाध्यक्ष और पूर्व सांसद के पुत्र विकास महतो,केदारनाथ अग्रवाल, ज्योतिनंद दुबे, प्रेमचंद पटेल, मनोज शर्मा के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं।जिले की पाली तानाखार सीट से मौजूदा कांग्रेस विधायक मोहित केरकेट्टा जो मुख्यमंत्री के गुडबुक में हैं किन्तु ऐसा लगता हैं कि उन्हें ही सबसे ज्यादा दूसरी बार टिकट मिलने की चिंता सता रही हैं।उनके खिलाफ लगातार विरोध के स्वर उभर रहे हैं और पार्टी के ब्लाक अध्यक्ष अपना अलग सुर अलाप रहे हैं।जो लोग कटघोरा से पुरुषोत्तम को तानाखर सिप्ट करवाना चाहते है वे मौजूदा विधायक केरकेट्टा के विधानसभा क्षेत्र में विरोध की सारी रिपोर्ट कांग्रेस हाईकमान को भेज रहे हैं।बता दे कि सरकारी नोकरी छोड़कर कांग्रेस की राजनीति में शामिल हुए युवा कौशल नेटटी भी मजबूत दावेदार हैं और कंवर समाज सहित पूरे क्षेत्र में भी लोकप्रिय हैं.इस क्षेत्र में गोंगपा के भी अच्छे खासे वोटर हैं और पिछले विधानसभा चुनाव में गोंगपा प्रत्याशी हीरा सिंह मरकाम ने कांग्रेस के केरकेट्टा को जबरजस्त टक्कर दी हालांकि की वे करीब 9 हजार वोटो से चुनाव हार गए, कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व विधायक रामदयाल उईके यहां तीसरे नम्बर पर रहे। गोंगपा नेता हीरासिंह मरकाम के निधन के बाद पाली तानखर के गोड़ वोटर का झुकाव इस बार किस ओर होगा कहा नहीं जा सकता हैं। हालांकि मरकाम के पुत्र और गोंगपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तुलेश्वर मरकाम को पाली तानखर से पार्टी प्रत्याशी धोषित किया हैं। तुलेश्वर अपने पिता की तरह गोड़ वोटरों को साधने में कितने सफल होंगे यह तो वक्त ही बताएगा।भाजपा की ओर से रामदयाल उईके को सशक्त दावेदार माना जा रहा हैं। और वे लगातार क्षेत्र में दौरा भी कर रहे हैं चुकी उईके यहां से बुरी कदर हारे हैं इसलिए पार्टी के अन्य नेता भी टिकट की दावेदारी कर रहे है, रही बात अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट रामपुर विधानसभा की तो यह सीट भाजपा के कब्जे में हैं और मौजूदा विधायक ननकीराम कंवर को पार्टी फिर से उम्मीदवार बना दे तो कोई आश्चर्य वाली बात नहीं होगी कंवर 78 वर्ष के होने के बाद भी क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं किन्तु उनकी टिकट कटने की चर्चा उनकी उम्र को लेकर जरूर हैं।यदि ऐसा होता हैं तो इस बात की संभावना अधिक है कि उनकी धर्मपत्नी व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शंकुन्तला कंवर को पार्टी टिकट दे सकती हैं।वैसे कंवर परिवार के अतिरिक्त भी कुछ पार्टी कार्यकर्ता टिकट के दावेदार हैं।कांग्रेस से पूर्व विधायक श्यामलाल कंवर अपने पुत्र मोहिंदर कंवर (टीट्टू)को टिकट दिलाना चाहते हैं।मोहिंदर कंवर को विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत का भी करीबी माना जाता हैं इनकी दावेदारी मजबूत जरूर लगती हैं किन्तु महंत गुट का एक धड़ा बीते चुनाव में जनता कांग्रेस से चुनाव लड़ कर दूसरे स्थान पर रहे फूलसिंह राठिया को टिकट दिलवाना चाहता हैं।बता दे के सन 2018 के विधानसभा चुनाव में फूलसिंह राठिया ने जोगी कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़े थे इस चुनाव में कांग्रेस के श्यामलाल कंवर तीसरे नम्बर पर रहे।भाजपा के ननकीराम कंवर ने जोगी कांग्रेस के फूलसिंह राठिया को करीब 18175 वोटो से परास्त कर दिया था। कंवर को 65,045 तो राठिया को 46,873 वोट मिले थे।लोकसभा चुनाव के समय राठिया जोगी कांग्रेस छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो गए और आज टिकट की दौड़ में शामिल हैं। इसके अतिरिक्त धनेश्वरी कंवर सहित कुछ अन्य कांग्रेस नेता भी टिकट की चाहत रखते है और लगातार प्रदेश स्तरीय नेताओं से मेल मुलाकात भी कर रहे है।

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