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UDYAM-CG-10-0006700

नगर निगम सहित अवैध होर्डिग्स-विज्ञापन प्रर्दशनकर्ताओं व संलिप्त टेन्ट मालिकों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर


कोरबा। छत्तीसगढ राज्य के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा राजपत्र में प्राधिकार से प्रकाशित क्रमांक 5-13 /18 /2011 छत्तीसगढ नगर पालिका अधिनियम 1956 (क्रमांक 23 सन 1956) की धारा 432 ए के द्वारा प्रदत शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए राज्य शासन ने नगर पालिक निगम के द्वारा विज्ञापन व्यवसाय सेवा के विनियमन हेतु अधिनियम की धारा 427 की उप धारा 23 के अंतर्गत आदर्श उपविधि निर्धारण एवं प्रकाशित की गई थी, जिसे कोरबा नगर पालिक निगम द्वारा अंगीकृत किए जाने के बाद समूचे नगर निगम के क्षेत्र में सर्वाधिक राजस्व प्राप्ति एवं शहर के सौन्द्रर्यीकरण और स्मार्ट सिटी की तर्ज पर “शासकीय भूमि” में विज्ञापन होर्डिंग के माध्यम के उद्देश्य से 05 वर्ष हेतू एक प्रतिस्पर्धी निविदा बुलाई गई, जिसके तहत पहली बार इस निविदा में किसी भी एजेंसी भाग नहीं लिया गया, जिसकी वजह नगर निगम द्वारा अवैध विज्ञापकर्ताओं व टेंट मालिकों द्वारा किए जाने वाले अतिक्रमण और अवैध प्रदर्शन पर कार्रवाई नहीं करना बताया गया इसलिए किसी भी विज्ञापन एजेंसी द्वारा टेंडर नहीं लिया गया
फिर तत्कालीन आयुक्त द्वारा स्थानीय एजेंसीयों के प्रबंधकों को बुलाकर कहा कि आप टेंडर भरिये हम आपकी समस्याओं का निवारण करेंगे और किसी भी क्षेत्र में कोई भी अवैध विज्ञापन होर्डिंग, बांस-बल्ली, इत्यादि से अवैध प्रदर्शन नहीं करने देगें और शासन के एक्टध्पालिसी के तहत दण्डात्मक कार्यवाही भी विभिन्न तय धाराओ के तहत कड़ाई से की जायेगी नुकसान नही होने दिया जायेगा द्य ऐसा भरोसा देकर पुनः दूसरी बार जारी किए गए टेंडर को सफल करवा तो दिया गया एवं कोरबा क्षेत्र के चार प्रमुख जोंनों में “जैन एडवर्टाइजर्स” द्वारा अलग-अलग सर्वाधिक मूल्य बोली व भारी भरकम अमानत राशि जमा लेकर कार्य स्वीकृत कर संपूर्ण एक वर्ष की अग्रिम राशि (राजस्व) लाखों रुपए नगर निगम, आयुक्त द्वारा प्राप्त कर ली गई द्य इसके उपरांत लाखों का निवेश कर स्टील स्ट्रक्चरर्स स्थापित कर विज्ञापन विनियमन ध् व्यवसाय प्रारंभ किया गया, परन्तु खेद है कि प्रारंभ से आज पर्यन्त तक शासन के एक्ट के मुताबिक ना तो अधिकृत एजेंसी को प्रोत्साहित किया और ना ही इसके पक्ष में प्रचार-प्रसार कराया, ताकि लोग विधिवत विज्ञापन करें एवं अनुबंध 05 वर्ष तक लगातार निर्विघ्न जारी रहे और नगर निगम का राजस्व खजाना प्रतिवर्ष मुल्य वृद्धि के साथ भरता रहे
एजेंसी द्वारा अपने बलबूते पर अवैध प्रदर्शनकर्ताओं एवं टेंट हाउसों को जानकारी व निवेदन कर कई बार हटाया गया, नहीं हटाने या कठनाई होने पर नगर निगम द्वारा हमेशा पल्ला झाड़ा गया। अनेकों मामलों में टेन्ट व्यापारी अवैधानिक कृत्य में लगातार लिप्त रहे और वे अपनी अकड़ से राजनीतिक, धार्मिक व सामाजिक नेताओं की धौंस देते रहे। पुलिस द्धारा भी अधिकृत एजेंसी की शिकायतों को हस्तक्षेप अयोग्य बताया गया इसके बाद से अधिकृत एजेंसी द्वारा निरन्तर रूप से प्रामाणिक साक्ष्य एकत्र कर उनकी व्यावसायिक वाहनों में लदे बॉसो सहित आम सड़को, दिवारो फुटपाथों, ब्रिजो, व्यस्ततम चौराहो, ग्रिलो में हो रहे अवैध प्रदर्शन की सचित्र तस्वीरें लेकर अनेकों बार आयुक्त-नगर पालिक निगम को प्रेषित की गई थी, जिस पर नगर पालिक निगम द्वारा कोई भी कार्यवाही करना उचित नहीं समझ गया और उन प्रदर्शनों को उनके तिथियों के बाद भी अनेकों दिवस तक प्रदर्शित होने दिया गया और यह क्रम निरंतर व निर्वाध रूप से आज भी देखा जा सकता है। ऐसी हरकतों से एजेंसी का विज्ञापन विनियमन व्यवसाय निंरक असुसक्षित, आर्थिक-मानसिक प्रताड़ना युक्त हो गया।
अंततः प्रतिष्ठित अधिकृत एजेंसी जैन एडवर्टाइजर्स कोरबा द्वारा नगर निगम की वादाखिलाफी व शासन की तय पालिसी अनुसार कार्य नही करने से त्रस्त होकर हाई-कोर्ट की शरण ली है, जिसमे जिम्मेदार अधिकारियों के अलावा लिप्त लोगों के विरुद्ध संपूर्ण बातों का समावेश कर नगर पालिक निगम द्वारा राजपत्र में प्रकाशित आदर्श उपविधियो के तहत उनके द्वारा अपनी शक्तियों का उपयोग नहीं करने तथा अवैध विज्ञापनकर्ताओं या वे जो इसे प्रोत्साहन देते हैं के विरुद्ध पुलिस के पास प्राथमिकी एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई एवं बार-बार प्रदर्शित हो रहे विभिन्न चौक चौराहों, सडकों फुटपाथों, दीवारों रेलिंगों, खम्बों में अवैध होर्डिंग्स यत्र-तत्र प्रदर्शन करने दिया जबकि नगर निगम को अधिकृत एजेंसी के प्रोत्साहन में जनमानस को बार-बार अनेक माध्यम से वैद्य ही विज्ञापन करने हेतु मुनादी, प्रचार-प्रसार करवाना था, यह भी नहीं किया गया सिर्फ एक बार समाचार जारी कर अवैध प्रदर्शनकर्ताओं पर कडी कार्यवाही व पुलिस में प्राथमिकी एफआईआर दर्ज करने की चेतावनी अखबारों में प्रेस विज्ञप्ति मात्र छपवाकर खानापूर्ति की गई थी। जबकि राजपत्र अनुसार अवैध रूप से विज्ञापन को बढावा देना या अवैध प्रदर्शन करना अधिनियम की धारा 248 के निबंधनों में अपराध जो 434 की धारा के निबंधन में दंडनीय है, यह आशय राजपत्र में प्रकाशित छ.ग. के राज्यपाल के नाम से तथा आदेशानुसार उप सचिव द्वारा स्पष्ट रूप से उल्लेखित है।

 

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