कोरबा। बारिश के दिनों में बारिश थमने के बाद जहां एक ओर किसान भाईयों के सांसें थमने लगती है तो वहीं दूसरी ओर झोलाछाप व नीजि हॉस्पिटलों की चांदी रहती है।
जी हां आपको बता दे कि ग्रामीण क्षेत्र के चुईंया, लामपहाड़, जामपहाड़, लेमरू, नकिया, कोरबा शहर के उपनगरीय क्षेत्र दीपका, बालको, छूरी, मुड़ापार, दर्री, मानस नगर, कनबेरी, प्रेमनगर, सुराकछार, के आलावा बरपाली, मडवारानी, उरगा, सरगबुदिंया, तरदा जैसे छोटे-छोटे ग्रामीण क्षेत्रों में ये झोलाछाप ग्रामीणों के जान के साथ खुलेंआम खिलावाड़ करने में जुटे है।
कई झोलाछाप डाक्टर अपने पहुंच उपर तक बताते हुए लोगो का शोषण कर रहे है। कोरबा के लचर प्रशासनीक व्यवस्था से ग्रामीण व आम नागरिक त्रस्त है। ये झोलाछाप डाक्टर अपने पाकिट गरम करने के चक्कर में सरकारी हास्पिटल ना भेज कर प्राईवेट हॉस्पिटल भेज रहे है ताकि इन्हें कोरबा में संचालित प्राईवेट हॉस्पिटलों से काली कमाई की पैसे मिल सकें। इस ओर आम नागरिक ने प्रशासन से मांग की है कि शहर के आलावा ग्रामीण क्षेत्रों में ये झोलाछाप डाक्टरों पर अंकुश लगाए नहीं तो ग्रामीण व आम नागरिको को मौत के मुंह से जाने से कोई रोक नहीं सकता जिसकी पुरी जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन की होगी।
शेष आगे…..