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अमृत मिशन 2.0 में 350 करोड़ का टेंडर घोटाला, छत्तीसगढ़ में भ्रष्ट अधिकारियों के हौंसले बुलंद

अमित गौतम ✍????

रायपुर} नगरी निकाय एवं विकास विभाग (सूडा) द्वारा भारत सरकार की योजना अमृत मिशन 2.0 में जल प्रदाय योजना के 350 करोड़ के काम देने में टेंडर प्रक्रिया में घोटाला किया गया है । जिसमें सूडा के अधिकारियों द्वारा टेंडर में भाग लेने हेतु बनाए गए मापदंडों में फेरबदल करते हुए ठेकेदार से पार्टनरशिप करते हुए उन्हें 350 करोड़ के कार्य दे दिए गए….अमृत मिशन योजना केंद्र सरकार द्वारा सभी घरों में नल द्वारा जल देने हेतु लागू की गई है किंतु अधिकारियों द्वारा योजना की परवाह न करते हुए अपनी जेब भरने में व्यस्त हैं जिसमें बहुत से निकायों में अपात्र ठेकेदारों को भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों द्वारा कार्य दे दिया गया है ऐसे अधिकांश ठेकेदारों द्वारा अभी तक अमृत मिशन योजना के कार्यों को आरंभ भी नहीं किया गया है इससे शासन का करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद भी लोगों को योजना का लाभ मिलने की कोई गारंटी नहीं है, तथा अधिकांश कार्य सूडा के अधिकारियों की पार्टनरशिप में होने की वजह से अधिकारी मौन है तथा योजना का कार्य पूर्ण करने में किसी भी अधिकारी की रुचि भी दिखाई नहीं देती है।
भ्रष्टाचार में लिप्त सूडा के अधिकारियों द्वारा अमृत मिशन के कार्यों के निगरानी के लिए चयनित पी डी एम सी मेंसर्स शाह कंसलटेंट होने के बावजूद भी अमृत मिशन के कार्य हेतु कोरबा, रायपुर, जगदलपुर, बिरगांव, भिलाई एवं कुम्हारी में एक अन्य एजेंसी मेंसर्स पौराणिक ब्रदर्स का मिशन डायरेक्टर की अनुमति न होने के बावजूद भी किया गया जो की अमृत मिशन योजना क्रियान्वयन के जारी किए गए दिशा निर्देशों के खिलाफ है । अधिकारी अपनी जेब भरने में इतने मदमस्त हैं कि उन्हें भारत सरकार के नियमों की भी कोई परवाह नहीं है ।
 सूडा द्वारा अमृत मिशन के समस्त कार्यों के देखरेख के लिए मेसर्स शाह टेक्निकल कंसलटेंट को भुगतान किया जा रहा है किंतु शाह टेक्निकल द्वारा समस्त जगह पर कार्य नहीं देखा जा रहा वहीं सूडा के वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देश पर कुछ जगह पौराणिक ब्रदर्स द्वारा कार्य किया जा रहा है जिसका भुगतान निकाय स्तर पर किया जा रहा है । एक ही कार्य का दो अलग-अलग जगह से होने की वजह से सालों से चल रहा है भ्रष्टाचार का यह खेल किसी के ध्यान में नहीं आया था । जब राज्य के समस्त कार्यों के लिए किसी एजेंसी का चयन किया गया फिर अलग से एजेंसी का चयन करके दो-दो कंसलटेंट का भुगतान करके शासन का करोड़ों रुपए का गबन एक जांच का विषय है ।
अमृत मिशन में कार्य करने हेतु एस एल डी सी की बैठक 30 मई 2023 द्वारा ज्वाइंट वेंचर को भी अनुमति प्रदान की थी किंतु इसमें कहीं भी तकनीकी अहर्ता से समझौता नहीं किया गया । एस एल डी सी की मंजूरी के बिना टेंडर डॉक्युमेंट के परिशिष्ट 2,3 और 4 के फुटनोट में भी संशोधन किया गया जो नियमों का घोर उल्लंघन है । मानक परिशिष्ठो और परिवर्तित परिसिष्ठो की प्रतियां (ज्वाइंट वेंचर खंड को शामिल करने के बाद) अनुबंध ए के रूप में संलग्न की गई है । अन्य बदलावो के बावजूद एक बड़ा बदलाओं यह है कि टेंडर डॉक्युमेंट के परिशिष्ठ 3 के फुटनोट में बिंदू क्रमांक (11) पर इसका स्पष्ट उल्लेख किया गया है । (11) बिड क्षमता की गणना के लिए टी डी एस या अन्य प्रमाण पत्र पर विचार नहीं किया जाएगा । लेकिन इसके विपरीत हाल ही की बोलियों से उसी मानक खंड को हटा दिया गया था । सूडा के तकनीकी अधिकारियो द्वारा एस एल टी सी /सूडा अधिकारियों के पूर्व अनुमोदन या ज्ञान के बिना केवल कुछ ठेकेदारों की मदद करने के लिए तथा ठेकेदार निर्माण कारोबार और बीड क्षमता को प्रमाणित करने के लिए सीए द्वारा जारी प्रमाणपत्रों को स्वीकार करने हेतु अनुमोदित नियमों के साथ छेड़खानी की गई जबकि नियमानुसार इसकी गणना ठेकेदारों द्वारा टेंडर डॉक्युमेंट के लिए परिशिष्ट 2,3 और 4 में भरे गए डेटा और ठेकेदारों द्वारा प्रस्तुत विधिवत हस्ताक्षरित सहायक दस्तावेजों से ही की जानी थी ।
            यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि सूडा के अधिकारियों द्वारा सभी निविदा दस्तावेजों को अंतिम रूप दे रहे हैं (उनके द्वारा किए गए सभी बदलाव निकाय के प्रभारीयों को सूचित नहीं किए जाते हैं) और उन्हें टेंडर प्रकाशित करने के लिए निकाय प्रभारी को भेज रहे हैं । इसके अलावा वह सभी मूल्यांकन रिपोर्ट को भी अंतिम रूप दे रहे हैं और उन्हें निकाय प्रभारी को केवल उनके हस्ताक्षर के लिए भेज रहे हैं और आधिकारिक तौर पर सूडा को भेज रहे हैं यह सब सूडा के उच्च अधिकारियों और निकाय प्रभारी की जानकारी में है जिसकी पुष्टि उनसे अलग से की जा सकती है । मानडंडों का घोर उल्लंघन और एसएलडीसी की पूर्व मंजूरी के बिना मानक खंडों के साथ छेड़छाड़ एक गंभीर अपराध है इसे भ्रष्टाचार का कार्य माना जा सकता है ।

एस एल टी सी से बिना अनुमोदन प्राप्त किये ही कर दिए गए नियमों में फेरबदल

प्राप्त जानकारी के अनुसार टेंडर के किसी भी दस्तावेज में परिवर्तन करने के लिए सूडा की स्टेट लेवल कमेटी एसएलटीसी द्वारा पास किया जाना आवश्यक होता है किंतु अमृत मिशन के टेंडर प्रक्रिया में एसएलटीसी द्वारा दो-तीन नियमों में परिवर्तन करने का प्रावधान किया गया था जिससे कमेटी द्वारा कार्यों के लिए ज्वाइंट वेंचर की अनुमति प्रदान की थी किंतु सूडा के अधिकारियों द्वारा अपने ठेकेदारों को कार्य देने के लिए बहुत सारे नियमों में परिवर्तन कर दिया गया जो की गंभीर भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।

अनुमति कुछ कि,और कर दिए कुछ और परिवर्तन

यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि एसएलटीसी द्वारा केवल टेंडर में जॉइंट वेंचर की अनुमति प्रदान की गई थी किंतु विभाग के अधिकारियों द्वारा अपने खास लोगों को कार्य देने के लिए टेंडर डॉक्युमेंट में बहुत सारे परिवर्तन कर दिए गए इससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि अधिकारियों द्वारा मोटी रकम लेकर अपने खास लोगों को काम देने के लिए 350 करोड़ का टेंडर घोटाला किया गया है।

तकनीकी अर्हता को धता बताकर टेंडर अवार्ड किया गया

सूडा द्वारा जारी किए गए अमृत मिशन 2.0 के टेंडर डॉक्युमेंट में जॉइंट वेंचर की स्थिति में दोनों ठेकेदारों को जल प्रदाय के समस्त घटकों का पूर्ण रूप से अनुभव होना आवश्यक था किंतु सूडा के कुछ अधिकारियों द्वारा तकनीकी अर्हता को बिना किसी अनुमति के मनमाने ढंग से परिवर्तन कर ज्वाइंट वेंचर के किसी एक ठेकेदार को आधा अधूरा तथा दूसरे को भी अपूर्ण या अनुभवहीन होने के बावजूद भी ज्वाइंट वेंचर के अंतर्गत पूर्ण तकनीकी अहर्ता दिखाकर अपने चाहते ठेकेदारों को करोड़ों का टेंडर प्रदान किया गया ।

अभी तक आरंभ नहीं हुए ज्वाइंट वेंचर के कार्य

अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से मूल्यांकन करके कार्य को अनुभवहीन एवं आयोग्य ठेकेदारों को कार्य तो दे दिया गया है किंतु शासन की इस अधिकांश योजनाओं का कार्य आरंभ ही नहीं हुआ है अधिकारियों का ध्यान सिर्फ अपनी जेब भरने में है इसलिए इस योजना का लाभ आम जनता को मिलता है या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है। शासन द्वारा इन सभी भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा लगभग 350 करोड रुपए के टेंडर घोटाले की जांच करवाकर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करके जनता के साथ किया जा रहे धोखाधड़ी से बचाना चाहिए इन सारी भ्रष्टाचार की जानकारी सूडा के वरिष्ठ अधिकारियों एवं विभागीय मंत्री को देने के पश्चात भी उनके द्वारा कोई भी कार्यवाही ना किया जाना खेद का विषय है।

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