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रायपुर एम्स में हुई फर्जीवाड़ा, रसीद में हेरफेर कर अफसर ने किया 28 लाख का गबन आरोपी गिरफ्तार

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधनी रायपुर में संचालित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में लाखों की फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। एम्स के वित्त विभाग में कार्यरत लेखा अधिकारी ने फर्जी रसीद व अन्य कुटरचित दस्तावेजों से लगभग 28 लाख रुपए का गबन किया। इस मामले में एम्स के सुरक्षा अधिकारी विपिन कुमार सिंह कुशवाहा की शिकायत पर आमानाका पुलिस ने कनिष्ठ लेखा अधिकारी एम्स टाटीबंध रायपुर योगेन्द्र पटेल व अन्य के खिलाफ धारा 409-आईपीसी, 420-आईपीसी, 467-आईपीसी 468-आईपीसी, 471-आईपीसी के तहत अपराध दर्ज कर उसे गिरफ्तार लिया है। फिलहाल आरोपी से पूछताछ जारी है।
इस मामले में एम्स प्रबंधन की ओर से सुरक्षा अधिकारी विपिन कुमार सिंह कुशवाहा नामजद शिकायत दर्ज कराई थी। एम्स में वित्तीय गड़बड़ी का यह पूरा मामला जुलाई-2022 में सामने आया था। कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी नितिन रामभाऊ वंजारी ने तत्कालीन कुलसचिव प्रो. नितिन आर गायकवाड़ से शिकायत की थी कि कुलसचिव कार्यालय में पीजी जेआर डा. अनिरूद्ध मेश्राम ने नो-ड्यूज के साथ जो रसीद दी है, वह पूर्व प्राप्त रसीद संख्या से अलग थी। शक होने पर डा. मेश्राम से इसे लेखा विभाग से सत्यापित कराने कहा गया।

जांच के लिए बनाई गई थी कमेटी
वित्त विभाग के अधिकारी योगेंद्र पटेल ने इस प्रकरण में नितिन वंजारी को फोन कर नो ड्यूज करने के लिए कहा और उन्हें ऐसा करने के लिए बीस हजार रुपए की पेशकश की। आरोपी कर्मचारी योगेंद्र पटेल ने ड. मेश्राम से पचास हजार रुपए देने की बात भी स्वीकार की । इस शिकायत के आधार पर एम्स प्रशासन द्वारा पूरे प्रकरण मे की जांच के लिए एक जांच कमेटी गठित की गई। जिसमें प्रो. विनय आरपंडित विभागाध्यक्ष, एसोसिएट डीन (एकेडमिक्स) शिव शंकर शर्मा, जनसंपर्क अधिकारी और विनोद एफसीएओ सदस्य बनाए गए।

नो ड्यूज लेटर के नाम पर ली गई राशि
जांच कमेटी ने जांच में पाया गया कि वित्त एवं लेखा विभाग मे कार्यरत कनिष्ठ लेखा अधिकारी योगेंद्र पटेल ने 20 कर्मचारियों व छात्रो को नो ड्यूज दिया। इनमें प्रमुख रूप से वह कर्मचारी व छात्र शामिल थे जो पद व कोर्स छोडने से पूर्व दिए जाने वाले नोटिस समय को पूरा करने की बजाय उसकी एवज में धनराशि जमा कराकर एम्स में नौकरी व कोर्स छोड़ रहे थे। आरोपी योगेंद्र ने इन सभी को एक ऐसी रसीद बुक से रसीद काटकर दी जो उस समय प्रचलित नही थी। इसकी एवज में जो धनराशि व डिमाण्ड ड्राफ्ट संबंधित कम्रचारी छात्रा ने दिया उसकी एवज में राशि एम्स के खाते में जमा नही हुई।

20 प्रकरणों में 27 लाख 89 हजार 400 रुपए का गबन
इस प्रकार 20 प्रकरण में कुल 27 लाख 89 हजार 400 रुपए का कोई विवरण एकाउंट्स विभाग में नहीं मिला। इनके नो ड्यूज या रसीद पर आरोपी कर्मचारी योगेंद्र पटेल के हस्ताक्षर पाए गए। 13 कर्मचारियों का 10 लाख 82 हजार 754 रुपए का विवरण प्राप्त नहीं हो सका क्योकि इससे संबंधित पूर्ण जानकारी कमेटी को नही मिल पाई। 76 नर्सिंग अधिकारियों के नौकरी छोडने के मामलो में से छह नर्सिंग अधिकारियों के नौकरी को छोडने के बाद जमा कि गई धनराशि की भी कोई जानकारी नही मिल पाई। जांच कमेटी के सामने आरोपी योगेन्द्र पटेल ने अन्य से भी पूछताछ करने की बात कही। इस पूरे प्रकरण में आरोपी कर्मचारी योगेंद्र पटेल के अतिरिक्त नौकरी व कोर्स छोडने वाले कर्मचारी छात्र भी शामिल हो सकते है। जांच समिति की अनुशंसा पर प्रबंधन द्वारा आमानाका थाने में एफआईआर कराई गई। इस मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी है।

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