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कोरबा जिले की बची 3 सीट से पुरुषोत्तम कंवर, फूलसिंह राठिया और दिलेश्वरी सिदार को कांग्रेस ने दी टिकट लम्बे अर्से बाद कांग्रेस नेता स्व0 प्यारेलाल कंवर परिवार के बाहर टिकट मिली

✍️ नरेन्द्र मेहता @कोरबा
कोरबा। कोरबा जिले की बची तीन सीट कटघोरा, रामपुर व पाली तानाखार विधानसभा के लिए कांग्रेस प्रत्याशी के रूप मे पुरुषोत्तम कंवर, फूलसिंह राठिया और दिलेश्वरी सिदार के नाम पर मोहर लगा दी हैं। तानाखार से मौजूदा विधायक मोहित केरकेट्टा की टिकट उनके विधायकी के रूप में बेड परफॉर्मेंस को देखते हुये काट दी गई हैं। रामपुर से फूलसिंह राठिया और पाली तानाखार से दिलेश्वरी सिदार के रूप में कांग्रेस ने नया चेहरा दिया है।
रामपुर विधानसभा से करीब 66 साल बाद राठिया समाज से किसी भी राजनेतिक पार्टी ने टिकट दी हैं जबकि इस सीट पर सर्वाधिक वोट राठिया का हैं और उसके बाद कंवर समाज का वोट आता हैं। कांग्रेस के फूलसिंह का मुकाबला 80 वर्षीय व 7 बार विजेता भाजपा प्रत्याशी ननकीराम कंवर से होगा। ननकीराम कंवर भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। राठिया समाज से लम्बे अर्स बाद टिकट मिलने समाज मे काफी हर्ष व्याप्त हैं. इस सीट से पूर्व विधायक श्यामलाल कंवर के पुत्र मोहिंदर कंवर (टीटू) का नाम भी जोर शोर से उछला था। उन्हें पूरा भरोसा था कि टिकट उन्हें मिलेगी. फूलसिंह को टिकट दिलाने में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल की अहम भूमिका मानी जा रही हैं। क्योकि फूलसिंह कंवर को राजस्व मंत्री का काफी करीबी माना जाता हैं।
      दिलेश्वरी गोड़ समाज से आती हैं और तानाखार गोड़ बाहुल्य सीट हैं। बता दे कि करीब 60 साल बाद तानाखार से कांग्रेस ने महिला को टिकट दी हैं।दिलेश्वरी कांग्रेस की टिकट पाने वालों दूसरी महिला हैं. पहली महिला यज्ञसेनी कुमारी को कांग्रेस ने ही 1957 में टिकट देकर चुनावी रण में उतारा था। यज्ञसेनी चुनाव जीतकर तानाखार की प्रथम विधायक बनी और दुबारा 1967 में भी यज्ञसेनी ने अपना चुनाव जीता।
                 कटघोरा विधानसभा सामान्य सीट हैं और यहां से लगातार आदिवासी उम्मीदवारों का दबदबा रहा हैं। मौजूदा विधायक पुरुषोत्तम कंवर हैं जिन्होंने अपना पहला चुनाव 2018 में जीता। कांग्रेस ने उन पर भरोसा करते हुए उन्हें पुनः प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा हैं। कटघोरा को कांग्रेस का गढ़ कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति बात नहीं होगी। कुल कटघोरा में 13 विधानसभा चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस ने 9 और भाजपा ने केवल 3 चुनाव में जीत हासिल की हैं। कटघोरा में 30 प्रतिशत आदिवासी मतदाता हैं और 70 प्रतिशत सामान्य व पिछड़ा वर्ग के मतदाता हैं। आदिवासियों की एकता की बदौलत ही यहां अधिकांश समय आदिवासी विधायक रहे। आदिवासी नेता बोधराम के नाम 6 चुनाव जीत कर विधायक बनने का रिकार्ड दर्ज हैं।

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