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बागी रुख नहीं अपनाएंगे ननकीराम कंवर..पार्टी टिकट देंगी उन्हें पूरा भरोसा..

नरेन्द्र मेहता

कोरबा| वयोवृद्ध आदिवासी भाजपा नेता और पूर्वमंत्री ननकीराम कंवर आज भी 80 वर्ष की उम्र होने के बाद भी राजनीति और अपने खेत खलिहान में सक्रिय नजर आते हैं।उनकी बढ़ी उम्र उनके कार्य मे आड़े नहीं आती। कंवर कोरबा जिला के आरक्षित रामपुर विधानसभा से विधायक हैं। छतीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 साल के अंत मे होने है इसलिए कंवर की टिकट को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।दरअसल यह बात सामने आ रही हैं कि कंवर की उम्र अधिक हो चुकी हैं इसलिए संभावना यह हैं कि भाजपा उन्हें टिकट नहीं देगी?दूसरी तरफ कंवर अपनी टिकट पक्की मानकर चल रहे है उन्हें भरोसा हैं कि पार्टी उन्हें ही टिकट देगी।कंवर की सक्रियता अपने विधानसभा क्षेत्र और पार्टी में बनी हुई हैं. भाजपा हाईकमान भी इस बात से भलीभाँति परिचित हैं.दूसरी भाजपा के सामने एक समस्या यह भी हैं कि रामपुर विधानसभा क्षेत्र में कंवर की लोकप्रियता से ज्यादा लोकप्रिय दूसरा नेता उनके पास नहीं हैं।ऐसी स्थिति में भाजपा कंवर को टिकट दे दे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
              ननकीराम कंवर ऐसे नेता हैं जो 1972 से लगातार चुनाव लड़ रहे है।राजनीति की शुरुआत उन्होंने भारतीय जनसंघ से की और पहली बार जनसंघ की टिकट पर चुनाव चिन्ह “दिया छाप” को लेकर चुनाव रण पर उतरे थे,लेकिन कांग्रेस के प्यारेलाल कंवर से वे पराजित हो गए।हार को स्वीकार्य करते उन्होंने अपनी सक्रियता क्षेत्र में बढ़ा दी और अपने मनोबल को सदैव ऊंचा रखा।1977 के चुनाव में वे जनता पार्टी से उम्मीदवार बनाये गए और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के प्यारेलाल कंवर को हरा कर पहली बार विधायक बने।भाजपा 1980 में अस्तित्व में आई तो रामपुर सीट से पार्टी ने फिर ननकीराम कंवर को अपना उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में उतारा और इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा,कांग्रेस के प्यारेलाल कंवर चुनाव जीतकर 1977 की हार का बदला ले लिया।इसके बाद 1985 में भी ननकीराम कंवर को हार का सामना करना पड़ा,लेकिन1990 में उन्हें जीत मिली. इन दोनों चुनाव में कांग्रेस के प्यारेलाल कंवर उनके प्रतिद्वंद्वी थे। बता दे कि 1993 में मध्यावधि चुनाव हुए इस चुनाव में कांग्रेस के प्यारेलाल कंवर ने ननकीराम कंवर को हरा दिया।
              1998 में ननकीराम कंवर को जीत मिली, लेकिन इस चुनाव में प्यारेलाल कंवर मैदान में नहीं थे।इसके बाद 2003 और 2008 के चुनाव में ननकीराम ने कांग्रेस उम्मीदवार प्यारेलाल कंवर हरा दिया। प्यारेलाल कंवर के निधन के बाद 2013 के चुनाव में ननकीराम कंवर का मुकाबला स्व.प्यारेलाल कंवर के छोटे भाई कांग्रेस प्रत्याशी श्यामलाल कंवर से हुआ औऱ इस चुनाव ननकीराम कंवर हार हुई. लेकिन2018 में ननकीराम कंवर ने कांग्रेस के श्यामलाल कंवर को पराजित कर विधायक बन गए।
           सामने 2023 का विधानसभा चुनाव है भाजपा ने छतीसगढ़ कि 90 सीट में से 21 सीट पर अपने प्रत्याशी की नाम की घोषणा करते हुए पहली सूची जारी कर दी हैं।कोरबा जिले के चार विधानसभा क्षेत्र में से केवल कोरबा विधानसभा सीट से ही प्रत्याशी घोषित किया गया हैं रामपुर, कटघोरा और पाली तानाख़ार से प्रत्याशी घोषित किया जाना बाकी हैं।टिकट को लेकर भाजपा में गहन माथा पच्ची चल रही हैं। रामपुर सीट से मौजूदा विधायक ननकीराम कंवर ,जो अविभाजित मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ में भाजपा शासन के दौरान मंत्री रह चुके हैं पार्टी उन्हें टिकट देती हैं या नहीं सबकी निगाहें इसी पर टिकी हुई हैं. कंवर को टिकट नहीं मिली तो शायद ही पार्टी से बगावत करेंगें लेकिन उन्हें निराशा जरूर होगी कि आखिरी बार चुनाव लड़ने की ख्वाहिश पार्टी ने पूरी नहीं की.

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