Download Our App

UDYAM-CG-10-0006700

कोर्ट की अवहेलना मामले में छतरपुर के पूर्व कलेक्टर और सीईओ को 7-7 दिन की सजा, जुर्माना भी लगाया

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने छतरपुर के तत्कालीन कलेक्टर शीलेंद्र सिंह और तत्कालीन अतिरिक्त कलेक्टर अमर बहादुर सिंह को अवमानना का दोषी करार दिया है। साथ ही सात दिन के कारावास की सजा से दंडित किया है। हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलुवालिया की एकल पीठ ने दोनों अधिकारियों पर एक-एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। एकल पीठ ने न्यायिक रजिस्ट्रार को निर्देशित किया था कि दोनों के खिलाफ जेल वारंट तैयार करें। दोनों अधिकारियों ने अवमानना का दोषी ठहराने तथा सजा से दंडित करने के खिलाफ अवमानना अपील दायर की थी। अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगल पीठ ने सजा के आदेश पर स्थगन दे दिया है। इस कारण दोनों अधिकारियों को फिलहाल जेल नहीं भेजा गया है।

मामला जाने क्या है
छतरपुर स्वच्छता मिशन के तहत जिला समन्वयक पद पर नियुक्त रचना द्विवेदी का ट्रांसफर बड़ा मलहरा हो गया था। रचना द्विवेदी ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा था कि संविदा नियुक्ति में स्थानांतरण का कोई प्रावधान नहीं है। हाईकोर्ट ने 10 जुलाई 2020 को ट्रांसफर आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट की रोक के बाद भी याचिकाकर्ता को बड़ा मलहरा में जॉइनिंग नहीं देने के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इस कारण याचिकाकर्ता ने उक्त अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी।

कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को दोषी पाया
याचिका की सुनवाई करते हुए एकल पीठ ने दोनों अधिकारियों को अवमानना का दोषी पाया। एकल पीठ ने सजा निर्धारित करने के लिए पहले 11 अगस्त की तारीख मुकर्रर की थी। दोनों अधिकारियों ने आदेश वापस लेने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। आवेदन में कहा गया था कि उनकी तरफ से जवाब प्रस्तुत करने के लिए ओआईसी नियुक्त किया गया था। ओआईसी ने जवाब भी प्रस्तुत किया था। एकल पीठ ने आवेदन को खारिज करते हुए कहा था कि अवमानना प्रकरण में संबंधित अवमाननाकर्ता को ही व्यक्तिगत हलफनामे पर जवाब-दावा पेश करना होता है। ओआईसी नियुक्त कर अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी किया था, इसलिए उक्त अधिकारियों को याचिकाकर्ता की सेवाएं जारी रखनी थी। गुरुवार को दोनों अधिकारी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष पेश हुए और व्यक्तिगत रूप से माफी मांगी। एकल पीठ ने इस दौरान अधिकारियों को अवमानना को दोषी करार देते हुए सजा पर फैसला सुरक्षित रखा था।

अधिकारियों के वेतन से होगी रिकवरी
शुक्रवार को जारी आदेश में कोर्ट ने कहा कि है कि अवमानना मामले में माफी सिर्फ आंख साफ करना तो नहीं है। अवमानना का दोषी ठहराने से पहले अवमाननाकर्ताओं ने मांफी तक नहीं मांगी थी। उन्होंने अवमानना याचिका में पारित पूर्व के आदेश का परिपालन भी किया। याचिकाकर्ता का वेतन लगभग 13 लाख रुपये लंबित है। शासन की तरफ से कहा गया कि उक्त रकम का भुगतान किया जाएगा। दोषी अधिकारियों से उसकी रिकवरी की जाएगी। अवमाननाकर्ता अमन बहादुर सिंह वेतन की आधी रकम देने को तैयार है। एकल पीठ ने दोनों अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए उक्त सजा से दंडित किया था। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता डीके त्रिपाठी तथा धर्मेंद्र पटेल ने पैरवी की।

कोर्ट रूम से गिरफतार कर रजिस्ट्रार के समक्ष पेश किया
एकल पीठ के आदेश के बाद दोनों अधिकारियों को पुलिस ने अभिरक्षा में लिया। पुलिस ने दोनों अधिकारियों को न्यायिक रजिस्ट्रार के समक्ष पेश किया था। दोनों अधिकारियों ने न्यायिक रजिस्ट्रार के समक्ष जुर्माने की राशि 50-50 हजार रुपये भी अदा की थी। बाद में आदेश आया तो पता चला कि जुर्माना सिर्फ एक-एक हजार रुपये का हुआ है।

Leave a Comment

READ MORE

[democracy id="1"]
error: Content is protected !!