कोरबा| जिले में पिछड़ा वर्ग के लोगो को एक आस बंधी थी कि भाजपा ने कोरबा और कटघोरा से दो टिकट पिछड़ा वर्ग से दी हैं तो कांग्रेस कम से कम एक टिकट पिछड़ा वर्ग को देगी ही. दरअसल कांग्रेस के पास पिछड़ा वर्ग से टिकट देने का ऑप्शन 2023 के चुनाव में बचा ही नहीं हैं.
कोरबा विधानसभा से चौथी बार मौजूदा विधायक और छतीसगढ़ सरकार में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल पर भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दी हैं. बची कटघोरा सीट यह सामान्य सीट होते हुए भी यहां सर्वाधिक समय आदिवासी दावेदारों का दबदबा रहा हैं. इस बार पिछड़ा वर्ग की टिकट के लिए लॉबिंग तगड़ी थी और इस वर्ग को पूरी उम्मीद थी कि टिकट वितरण में कांग्रेस न्याय करेगी किन्तु ऐसा होता नहीं दिख रहा हैं.इस सीट में 70 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग और सामान्य मतदाताओं की संख्या हैं. इस हिसाब से पिछड़ा वर्ग को हमेशा यह आस बंधी रहती हैं कि कांग्रेस पिछड़ा वर्ग को यहां से मौका दे सकती हैं. लेकिन एक बार ही कांग्रेस ने 1990 में मौका दिया और क्षेत्र के वरिष्ठ व्यवहार कुशल कांग्रेस नेता कृष्णा लाल जायसवाल (गुरु जी) को टिकट दी.गुरुजी ने चुनाव जीत कर कांग्रेस के इस भय को तोड़ा की यहां से केवल आदिवासी दावेदार ही चुनाव नहीं जीत सकते बल्कि पिछड़ा वर्ग या सामान्य वर्ग का उम्मीदवार भी चुनाव जीत सकता हैं. दरअसल इस सीट में आदिवासी मतदाताओं की संख्या 30 प्रतिशत हैं और यह कहा जाता हैं कि ये आदिवासी उम्मीदवार के लिये सदैव संजीवनी का काम करते हैं. इनका एक तरफा वोट ही कमाल करता हैं. लेकिन यह सिर्फ कहने की ही बाते हैं. क्योंकि 100 % प्रतिशत आदिवासी मतदाता कांग्रेस को पसंद करें यह संभव नहीं हैं. कांग्रेस का भय अपनी जगह भले ही जायज हो क्योंकि उन्हे सरकार बनाने के लिए एक एक सीट जीतनी हैं. इसलिए कटघोरा सामान्य सीट से आदिवासी समुदाय से टिकट देने में जरा भी संकोच नहीं करती.इस बार पिछड़े वर्ग के लोग काफी निराश हैं और उनकी निराशा का फायदा भाजपा जरूर उठाने की कोशिश करेगी. पिछड़ा वर्ग के असर की बात की जाए तो कोरबा की बजाय कटघोरा सीट पर अधिक हो सकता हैं क्योंकि कोरबा से तो किसी भी दमदार पिछड़ा वर्ग के नेता ने कांग्रेस से टिकट नहीं मांगा था. जबकि पिछड़ा वर्ग के सर्वाधिक दावेदारों ने कांग्रेस से टिकट मांगी थी.