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कोरबा जिले की बची 3 सीट से उम्मीदवार के नाम लगभग तय.. राजस्व मंत्री के दिल्ली जाने से फंसा पेंच सुलझा

✍️ नरेन्द्र मेहता, कोरबा

कोरबा। कोरबा जिले की चार विधानसभा सीट में कोरबा सीट से कांग्रेस ने राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल को चौथी बार टिकट दी हैं. पिछले 3 चुनाव में अग्रवाल ने जीत की हैट्रिक लगाई. जिले की शेष 3 सीट से प्रत्याशी कौंन होगा इसमें पेच फस गया था. किन्तु राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कांग्रेस हाईकमान के बुलावे पर एकाएक दिल्ली के लिए उड़ान भरी. इसके बाद तीनो विधानसभा सीट से प्रत्याशियों के नाम से लगभग पर्दा उठ चुका हैं. रामपुर से फूलसिंह राठिया,कटघोरा से पुरुषोत्तम कंवर और पाली तानाखार से दिलेश्वरी सिदार के नाम पर कांग्रेस की मोहर लग सकती हैं. यदि ऐसा होता हैं तो कांग्रेस जिले से दो नए चेहरे फूलसिंह राठिया और दिलेश्वरी सिदार को चुनाव मैदान में उतारेगी.
          बता दे कि राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कोरबा सीट से 2008, 2013 और 2018 में चुनाव जीत कर जीत की हैट्रिक लगाई थी. और चौथी बार अपनी लोकप्रियता और क्षेत्र में कराये गए सामाजिक और जनकल्याणकारी कार्य की उपलब्धि को लेकर चुनावी रण में होंगे. वही कटघोरा के मौजूदा विधायक पुरुषोत्तम कंवर ने 2018 में अपना पहला चुनाव जीता, कटघोरा सामान्य सीट हैं और यहां से चुनाव जीतने की गारंटी वाले आदिवासी उम्मीदवारों का दबदबा रहा हैं. आदिवासी नेता बोधराम कंवर व उनके पुत्र पुरुषोत्तम कंवर यहां से 7 बार विधायक चुने गए। इस बार सामान्य सीट कटघोरा से गैर आदिवासी को टिकट देने की मांग जोरशोर से कांग्रेसियों ने उठाई थी.लेकिन शायद ही कांग्रेस हाईकमान ने इसे गंभीरता से लिया. इस सीट को पुरुषोत्तम कंवर के लिए क्लियर कराने के पीछे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से भी जैक लगवाया गया,पूर्व विधायक बोधराम कंवर भी स्वयं कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल जो गांधी परिवार के काफी करीबी हैं से मुलाकात कर कटघोरा का पूरा खाखा उनके सामने रख दिया. वेणुगोपाल ने बोधराम कंवर का सम्मान करते हुए उन्हें निश्चिंत रहने को कहा. ऐसी खबर हैं.
               रामपुर विधानसभा से फूलसिंह राठिया को कांग्रेस चुनाव लड़ने का मौका देती हैं तो यह पहली बार होगा कि राठिया समाज से किसी को बड़ी राष्ट्रीय पार्टी ने टिकट दी. रामपुर में राठिया मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक हैं उसके बाद कंवर मतदाता का नम्बर आता हैं. फूलसिंह राठिया के अलावा पूर्व विधायक श्यामलाल कंवर के पुत्र मोहिंदर कंवर (टीटू) का नाम टिकट की दौड़ में शामिल हैं, टीटू भी छतीसगढ़ और मध्यप्रदेश के बड़े कांग्रेस नेताओं के मार्फत अपना नाम ऊपर तक पहुचाने में सफल तो हुए लेकिन राठिया के नाम को कटवाने में उन्हें सफलता नहीं मिली ऐसी जानकारी मिली हैं. अभी भी मोहिंदर के समर्थकों को कांग्रेस की सूची का इंतजार हैं की कुछ नया हो जाये।
तानाखार सीट से 2018 में पहली बार विधायक चुने गये मोहित केरकेट्टा को जोगी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को साथ मे लेकर चलना अब उनके टिकट के लिए महंगा साबित हो रहा हैं. केरकेट्टा की टिकट पर प्रश्नचिन्ह बना हुआ हैं. हालांकि केरकेट्टा का जनसंपर्क अपने क्षेत्र में यह कहते हुए जारी हैं कि मुझे टिकट मिले या न मिले मैं कांग्रेस के सिपाही के रूप में जनता की सेवा करता रहूंगा.दूसरी तरफ जनपद पंचायत पाली की अध्यक्ष दिलेश्वरी सिदार को कांग्रेस, चुनाव लड़ने का मौका दे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. दिलेश्वरी की टिकट फाइनल स्टेज तक पहुचाने के पीछे भी एक दमदार मंत्री का हाथ होना बताया जाता हैं. जिले की एक विधानसभा से महिला को टिकट देने की बात कांग्रेस के अंदर लम्बे समय से चल रही हैं और हो सकता हैं दिलेश्वरी सिदार टिकट के मामले में बाजी मार ले जाए. दिलेश्वरी को टिकट मिलती हैं तो वह तानाखार से 60 साल बाद कांग्रेस की टिकट हासिल करने वाली दूसरी महिला होगी. 1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तानाखार से यज्ञसेनी कुमारी को उम्मीदवार बनाया था.यज्ञसेनी कुमारी चुनाव जीत कर तानाखार की प्रथम विधायक बनी. 1962 का चुनाव भी यज्ञसेनी ने जीता. इसके बाद तानाखार से किसी भी पार्टी ने महिला उम्मीदवार को अपना प्रत्याशी नहीं बनाया.दिलेश्वरी को कांग्रेस टिकट देने का मन बनाती हैं तो यहां चुनाव का नजारा भी बढ़ा दिलचस्प रहेगा. क्योंकि 60 साल बाद चुनावी मैदान में किसी महिला उम्मीवार का मुकाबला पुरुष से होगा.बता दे कि तानाखार विधानसभा में महिला मतदाता की संख्या पुरुष मतदाता से अधिक है।

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